श्री श्याम खापर्डे 

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है महामारी कोरोना से ग्रसित होने के पश्चात मनोभावों पर आधारित एक व्यंग्य कविता “# परिवर्तन #”) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 41 ☆

☆ # व्यंग कविता – परिवर्तन # ☆ 

स्वाधीनता के पावन पर्व पर

अपनी संपन्नता पर गर्व कर

नेताजी ने

कार में बैठते हुए

अभिमान से

अपनी गर्दन

ऐंठते हुए

अपने ड्रायवर

से कहा-

क्यों भाई

हमने इस देश को

कितना आगे बढ़ाया है

गरीबों का जीवनस्तर

कितना ऊपर उठाया है

अपना खून पानी

की तरह बहाकर

इस देश में कितना

परिवर्तन लाया है ?

 

बेचारा ड्रायवर

अपनी अल्पबुधी से

कुछ सोचते हुए

फटी कमीज़ से

माथे का पसीना

पोंछते हुए

बोला-

नेताजी,

हम तो बस

इसी सत्य को

मानते हैं

हम तो बस

इसी परिवर्तन को

जानते हैं

कि

आज से

पचहत्तर साल पहले

आपके पूज्यनीय पिताजी

आज ही के दिन

तिरंगा झंडा

फहराया करते थे

और

हमारे पिताजी

उन्हें वहाँ  तक

पहुँचाया करते थे

और आज

पचहत्तर साल बाद

आप झंडा फहराने

जा रहे हैं

और हम

आपको वहाँ तक

पहुँचा रहे हैं 

 

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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