सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा
(सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी सुप्रसिद्ध हिन्दी एवं अङ्ग्रेज़ी की साहित्यकार हैं। आप अंतरराष्ट्रीय / राष्ट्रीय /प्रादेशिक स्तर के कई पुरस्कारों /अलंकरणों से पुरस्कृत /अलंकृत हैं । सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी का काव्य संसार शीर्षक से प्रत्येक मंगलवार को हम उनकी एक कविता आपसे साझा करने का प्रयास करेंगे। आप वर्तमान में एडिशनल डिविजनल रेलवे मैनेजर, पुणे हैं। आपका कार्यालय, जीवन एवं साहित्य में अद्भुत सामंजस्य अनुकरणीय है।आपकी प्रिय विधा कवितायें हैं। आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “ख़ुशी से रिश्ता ”। )
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☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी का काव्य संसार # 88 ☆
☆ ख़ुशी से रिश्ता ☆
बारिश हो रही थी, गुनगुना रही थी बहार
बहकती हवाओं में था हसीं सा ख़ुमार
उसने मुझे भी अपनी आगोश में ले लिया
और मेरे दिल को बेपरवाही से भर दिया
रिमझिम में भीगती हुई रक्स करने लगी
तितलियों की चाल में मैं मस्त चलने लगी…
कभी किसी कली को मुस्कुराकर चूमती,
कभी किसी टहनी का हाथ पकड़कर झूमती,
कभी हंसती, कभी खिलखिलाती
तेज होती बारिश तो उसकी धार पकड़ झूल जाती
चलती तो यूं लगता हिरनी सी है मेरी चाल…
हाँ, हो गयी थी मैं बिलकुल ही बेखयाल…
बादल तो बादल था, थोड़ी देर में उड़ गया
पर ख़ुशी के साथ मेरा एक नया रिश्ता जुड़ गया
अब जब भी तनहाई की हलचल सुन लेती हूँ
मैं एक बार फिर से उस ख़ुशी से गले मिल लेती हूँ
© नीलम सक्सेना चंद्रा
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈