श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”
(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” जी का हिन्दी बाल -साहित्य एवं हिन्दी साहित्य की अन्य विधाओं में विशिष्ट योगदान हैं। साप्ताहिक स्तम्भ “श्री ओमप्रकाश जी का साहित्य” के अंतर्गत उनकी मानवीय दृष्टिकोण से परिपूर्ण लघुकथाएं आप प्रत्येक गुरुवार को पढ़ सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण लघुकथा “सहयोग”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – श्री ओमप्रकाश जी का साहित्य # 89
☆ लघुकथा — सहयोग ☆
” उसे जरूरी काम है। अवकाश मंजूर कर दो भाई।”
” नहीं करूंगा। वह अपने आपको बहुत ज्यादा होशियार समझता है।” प्रभारी प्राचार्य ने कहा।
” उसकी मजबूरी है। देख लो।”
“उससे कहो- वह मेरी बात मान ले।”
“अरे भाई ! वह नास्तिक है। आपकी बात कैसे मान सकता है? ” उसके साथी ने सिफारिश करते हुए कहा।
” उससे कहो- ताली एक हाथ से नहीं बजती है,” प्राचार्य ने विजय मुद्रा में मुस्कुराते हुए कहा,” वह मंदिर-निर्माण के लिए दान दे कर मेरा सहयोग करें तब मैं उस का अवकाश मंजूर कर के उसका सहयोग करूंगा।”
यह निर्णय सुनते ही उसका साथी चुप हो गया।
© ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”
17-08-21
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