(हम प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’जी के आभारी हैं जिन्होने साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक की पुस्तक चर्चा” शीर्षक से यह स्तम्भ लिखने का आग्रह स्वीकारा। श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, मुख्यअभियंता सिविल (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी, जबलपुर ) पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। उनका पारिवारिक जीवन एवं साहित्य में अद्भुत सामंजस्य अनुकरणीय है। इस स्तम्भ के अंतर्गत हम उनके द्वारा की गई पुस्तक समीक्षाएं/पुस्तक चर्चा आप तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं।
आज प्रस्तुत है सुश्री अनुभा श्रीवास्तव जी की पुस्तक “सकारात्मक सपने” – की समीक्षा।
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा# 100 – “सकारात्मक सपने” – सुश्री अनुभा श्रीवास्तव ☆
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कृति …सकारात्मक सपने
लेखिका …अनुभा श्रीवास्तव
प्रकाशक … डायमण्ड पाकेट बुक्स दिल्ली
मूल्य …११० रु
पृष्ठ .. १२४
साहित्य अकादमी म प्र. संस्कृति परिषद के सहयोग से प्रकाशित एवं लेखिका को इस कृति पर म. प्र लेखिका संघ का वर्ष २०१८ का पुरस्कार प्राप्त।
युवा लेखिका ने समय समय पर यत्र तत्र विभिन्न विषयो पर युवा सरोकारो के स्फुट आलेख लिखे , जिनमें से शाश्वत मूल्यो के आलेखो को प्रस्तुत पुस्तक में संग्रहित कर प्रकाशित किया गया है .
आत्मकथ्य – युवा सरोकार के लघु आलेख
जीवन में विचारो का सर्वाधिक महत्व है. विचार ही हमारे जीवन को दिशा देते हैं, विचारो के आधार पर ही हम निर्णय लेते हैं . विचार व्यक्तिगत अनुभव , पठन पाठन और परिवेश के आधार पर बनते हैं . इस दृष्टि से सुविचारो का महत्व निर्विवाद है . अक्षर अपनी इकाई में अभिव्यक्ति का वह सामर्थ्य नही रखते , जो सार्थकता वे शब्द बनकर और फिर वाक्य के रूप में अभिव्यक्त कर पाते हैं . विषय की संप्रेषणीयता लेख बनकर व्यापक हो पाती है. इसी क्रम में स्फुट आलेख उतने दीर्घजीवी नही होते जितने वे पुस्तक के रूप में प्रभावी और उपयोगी बन जाते हैं . समय समय पर मैने विभिन्न समसामयिक, युवा मन को प्रभावित करते विभिन्न विषयो पर अपने विचारो को आलेखो के रूप में अभिव्यक्त किया है जिन्हें ब्लाग के रूप में या पत्र पत्रिकाओ में स्थान मिला है. लेखन के रूप में वैचारिक अभिव्यक्ति का यह क्रम और कुछ नही तो कम से कम डायरी के स्वरूप में निरंतर जारी है.
अपने इन्ही आलेखो में से चुनिंदा जिन रचनाओ का शाश्वत मूल्य है तथा कुछ वे रचनाये जो भले ही आज ज्वलंत न हो किन्तु उनका महत्व तत्कालीन परिदृश्य में युवा सोच को समझने की दृष्टि से प्रासंगिक है व जो विचारो को सकारात्मक दिशा देते हैं ऐसे आलेखों को प्रस्तुत कृति में संग्रहित करने का प्रयास किया है . संग्रह में सम्मिलित प्रायः सभी आलेख स्वतंत्र विषयो पर लिखे गये हैं ,इस तरह पुस्तक में विषय विविधता है. कृति में कुछ लघु लेख हैं, तो कुछ लम्बे, बिना किसी नाप तौल के विषय की प्रस्तुति पर ध्यान देते हुये लेखन किया गया है.
आशा है कि पुस्तकाकार ये आलेख साहित्य की दृष्टि से संदर्भ, व वैचारिक चिंतन मनन हेतु किंचित उपयोगी होंगे.
– अनुभा श्रीवास्तव
खूशी की तलाश , आपदा प्रबंधन , कन्या भ्रूण हत्या , स्थाई चरित्र निर्माण हेतु नैतिकता की आवश्यकता , कम्प्यूटर से जीवन जीने की कला सीखने की प्रेरणा , देश बनाने की जबाबदारी युवा कंधों पर , कचरे के खतरे , धार्मिक पर्यटन की विरासत , आरक्षण धर्म और संस्कृति , आम सहमति से समस्याओ का स्थाई निदान, कागज जलाना मतलब पेड जलाना , भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई , तोड़ फोड़ राष्ट्रीय अपव्यय , शब्द मरते नहीं , कैसे हो गांवो का विकास , मुखिया मुख सो चाहिये , गर्व है सेना और संविधान पर , कार्पोरेट जगत और हिन्दी , संचार क्रांति , भ्रष्टाचार के विरुद्ध लडाई , महिलायें समाज की धुरी , जीवन और मूल्य जैसे समसामयिक विषयो पर आज के युवा मन के विचारो को प्रतिबिंबित करते छोटे छोटे सारगर्भित तथ्यपूर्ण आलेखो में अभिव्यक्त किया गया है .
लेख विषय की सहज अभिव्यक्ति करते हैं व मानसिक भूख शांत करते हैं . पुस्तक पढ़ने योग्य है , वैचारिक स्तर पर संदर्भ हेतु संग्रहणीय भी है . युवाओ हेतु विषेश रूप से बहुउपयोगी है .
समीक्षक .. विवेक रंजन श्रीवास्तव
ए १, शिला कुंज, नयागांव, जबलपुर ४८२००८
मो ७०००३७५७९८
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈