श्री संतोष नेमा “संतोष”
(आदरणीय श्री संतोष नेमा जी कवितायें, व्यंग्य, गजल, दोहे, मुक्तक आदि विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं. धार्मिक एवं सामाजिक संस्कार आपको विरासत में मिले हैं. आपके पिताजी स्वर्गीय देवी चरण नेमा जी ने कई भजन और आरतियाँ लिखीं थीं, जिनका प्रकाशन भी हुआ है. आप डाक विभाग से सेवानिवृत्त हैं. आपकी रचनाएँ राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होती रहती हैं। आप कई सम्मानों / पुरस्कारों से सम्मानित/अलंकृत हैं. “साप्ताहिक स्तम्भ – इंद्रधनुष” की अगली कड़ी में प्रस्तुत हैं एक भावप्रवण रचना “फासले न बढ़ाओ ….”। आप श्री संतोष नेमा जी की रचनाएँ प्रत्येक शुक्रवार आत्मसात कर सकते हैं।)
☆ साहित्यिक स्तम्भ – इंद्रधनुष # 95 ☆
☆ फासले न बढ़ाओ …. ☆
कभी तो कुछ समझदारी किया करो
मुहब्बत से जरा यारी किया करो
औरों पर तो रखते हो खूब नजर
अपनी भी कुछ पहरेदारी किया करो
दिल ने जब जो चाहा झट बोल दिया
अरे कुछ तो पर्दादारी किया करो
सौगात राहतों की वो रोज दे रहे
मंहगाई पर भी सवारी किया करो
मिले कुछ गुरबत से राहत गरीबों को
फरमान ऐसे भी जारी किया करो
नफरत से कुछ न हासिल होगा तुम्हें
प्यार से बातें अब प्यारी किया करो
फासले न बढ़ाओ इंसानों के दरम्यां
“संतोष” काम परहितकारी किया करो
भूल कर सभी नादानी,कहाँ चल दिये
© संतोष कुमार नेमा “संतोष”
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