श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ 

(हम प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’जी के आभारी हैं जिन्होने  साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक की पुस्तक चर्चा”शीर्षक से यह स्तम्भ लिखने का आग्रह स्वीकारा। श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, मुख्यअभियंता सिविल (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी, जबलपुर ) पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है।  उनका पारिवारिक जीवन एवं साहित्य में अद्भुत सामंजस्य अनुकरणीय है। इस स्तम्भ के अंतर्गत हम उनके द्वारा की गई पुस्तक समीक्षाएं/पुस्तक चर्चा आप तक पहुंचाने का प्रयास  करते हैं।

आज प्रस्तुत है  श्री संतोष परिहार जी के कहानी  संग्रह  “अपना अपना सच ” की समीक्षा।

 पुस्तक चर्चा

APNA-APNA SACH

पुस्तक : अपना अपना सच (कहानी संग्रह)

कहानीकार- श्री संतोष परिहार

प्रकाशक : बोधि प्रकाशन, जयपुर

मूल्य : १५० रु

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा# 102 – “अपना अपना सच ” – श्री संतोष परिहार ☆  

कहानियों के जरिये चरित्र के जीवन के सच का मूल्यांकन कथाओ में किया गया है । संग्रह में फुल 17 कहानियां  हैं । संग्रह की पहली कहानी जीवन एक आशा है जिसमें वृद्ध ठाकुर काका के आशावान जीवन को वर्णित किया गया है।देश का वोटर नेताओं के किए गए वादों को सच मान लेता है और उनके संबोधन में सपने बुन लेता है घर आजा मोहन कहानी में यही भाव अभिव्यक्त किए गए हैं। तेरे जाने के बाद में एक पिता के व्याकुल मन का सच है ।  “दे दाता के नाम” कहानी में दहेज  प्रथा पर कहानीकार का प्रहार है । संग्रह की सभी कहानियां हृदयस्पर्शी है जिन में जीवन का कटु सत्य है और समाज की विसंगतियों  पर लेखक ने  अपनी कलम से  सुधार करने का यत्न किया है । “बड़प्पन” कहानी में बताने का यत्न किया गया है की आदमी अपनी जाति से नहीं  कर्म से बड़ा होता है ।कहानियों की  घटनाएं हम सबके आसपास ही घटित हो रही है जिन्हें लेखक ने इस तरह लिपी बद्ध किया है कि पाठक को लगता है कि वह समस्या उसके  अपने ऊपर ही बीत रही है ।

समाज का शोषित वर्ग जैसे  बेटियां,स्त्रियां,बुजुर्ग,बच्चों और जानवर सभी के विषय में  कथाओं का संग्रह है।

पुस्तक बार बार पठनीय है।  संतोष परिहार जी हिंदी कहानी जगत के पुरस्कृत बहुपठित कहानीकार हैं उनसे हिंदी कथा को और बहुत सी आशाये हैं। 

समीक्षक – विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ 

ए २३३, ओल्ड मीनाल रेसीडेंसी, भोपाल, ४६२०२३

मो ७०००३७५७९८

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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