श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”
(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” जी का हिन्दी बाल -साहित्य एवं हिन्दी साहित्य की अन्य विधाओं में विशिष्ट योगदान हैं। साप्ताहिक स्तम्भ “श्री ओमप्रकाश जी का साहित्य” के अंतर्गत उनकी मानवीय दृष्टिकोण से परिपूर्ण लघुकथाएं आप प्रत्येक गुरुवार को पढ़ सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय लघुकथा “विकल्प”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – श्री ओमप्रकाश जी का साहित्य # 102 ☆
☆ लघुकथा — विकल्प ☆
जैसे ही वाह-वाह करके भीड़ छटी मित्र ने पूछा,” तुझे यह विचार कहां से आया?”
“इन लोगों को अनाप-शनाप पैसा खर्च करते हुए देखकर।”
“कब?” मित्र ने पूछा।
“5 साल पहले,” उस मध्यस्थ ने कहा, “उस समय भी उनके मोहल्ले की सड़क नहीं सुधरी थी और आज भी वैसी की वैसी हैं।”
“अच्छा!”
“हां,” मध्यस्थ बोला, “उसी के सुधार के लिए वे पंच पद पर चुनाव लड़ना चाहते थे।”
“और तूने सभी को बैठाकर समझौता करवा दिया।”
“हां,” मध्यस्थ बोला, “जिस पैसे से वे चुनाव लड़ना चाहते थे उसी पैसे को अब वे यहां खर्च करके गली की सड़क बनवा देंगे।”
“इससे तुझे क्या फायदा मिला?” मित्र ने पूछा तो मध्यस्थ बोला,”मैंने अपने टैक्स के लाखों रुपए बर्बाद होने से बचा लिए।”
© ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”
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