डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं “भावना के दोहे”। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 115 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे ☆
बलख बलख आकाश में, उड़ने लगी पतंग।
हर्ष उल्लास छा रहा, बाल सखा के संग।।
पतझड़ का मौसम गया, जीवित हुआ बसन्त।
नवपल्लव छाने लगा, है पतझड़ का अंत ।।
पौधों पर छाने लगा, कलियों का विन्यास।
दस्तक देता द्वार पर, खड़ा हुआ मधुमास।।
पौधे भी अब कर रहे, कलियों की ही आस।
देखो दस्तक दे रहा, खड़ा हुआ मधुमास।।
सरसों पर छाने लगे, खिलते पीले फूल।
दिन रवि के आने लगे, है मौसम अनुकूल।।
© डॉ.भावना शुक्ल
सहसंपादक…प्राची
प्रतीक लॉरेल , C 904, नोएडा सेक्टर – 120, नोएडा (यू.पी )- 201307
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
अतिसुन्दर सृजन