श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा “रात का चौकीदार” महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं की “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज प्रस्तुत हैं एक भावप्रवण कविता “जड़ों को सूखने मत दो….”।)
☆ तन्मय साहित्य #116 ☆
☆ जड़ों को सूखने मत दो…. ☆
जड़ों को सूखने मत दो
उन्हीं से ये चमन महके।
कुमुदनी मोगरा जूही
सुगंधित पुष्प ये सारे
चितेरा कौन है जिसने
भरे हैं रंग रतनारे,
गर्भ से माँ धरा के
टेसू के ये कुसुम दल दहके…..
न भूलें जनक-जननी को
वही हैं श्रोत ऊर्जा के
वही आराध्य हैं तप है
वही जप-मंत्र पूजा के,
जताते हैं नहीं जो भी
किए उपकार, वे कह के…..
सहे जो धूप वर्षा ठंड
मौसम के थपेड़ों को
निहारो नेह से रमणीय
साधक सिद्ध पेड़ों को,
जीवनीय प्राणवायु दे
अनेकों कष्ट सह कर के….
हवाएँ बाहरी जो है
न हों मदमस्त इठलाएँ
रुपहली धूप से दिग्भ्रान्त
भ्रम में हम न भरमाएँ,
उन्हें ही प्राणपोषक रस
जुड़े जड़ से, वही चहके…..
© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश, अलीगढ उत्तरप्रदेश
मो. 9893266014
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈