श्री सूबेदार पाण्डेय “आत्मानंद”
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – आत्मानंद साहित्य# 106 ☆
☆ भोजपुरी गीत – खल संवाद ☆
कालि को उपमा लजाय रही,
भारवी के अर्थ लगै अति फीके।
पढ़त अनंद भयो मन में,
कहि जात न बात हिया अपनी के।
माघ के गुण अब जाय छुपे,
अन्हियार भयो जब अवध पुरी में।
चारिउ ओर हुलास भयो,
जन्में जब राम लला बखरी में।
जनु उतरल चान अंजोरिया धरा,
नहिं कलम अघात फॅंसल अंगुरीन में।
खल संवाद क उपमा मनोहर,
सिरमौर भइ है भोजपुरी में।
© सूबेदार पांडेय “आत्मानंद”
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