श्री श्याम खापर्डे 

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “# सर्द मौसम #”) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 64 ☆

☆ # सर्द मौसम # ☆ 

ठिठुरन भरी रात है

बदले हुए हालात हैं

मौसम ने अंगड़ाई ली

बिन बादल बरसात है

 

सर्द हवाएं चल रही है

अंगीठियाँ घर घर जल रही है

गर्म कपड़ों की निकली बारात है

जैसे ही यह शाम ढल रही है

 

पकोड़ो का मौसम है आया

हर किसी ने मज़े ले ले कर खाया

मूंग बड़े और मिर्ची भजिया

हर शख्स को खूब है भाया

 

यह देखो तोता और मैना

सुंदर जोड़ी का क्या कहना

आगोश में डूबे हैं दोनों

चुप है पर बोल रहे हैं नैना

 

चारों तरफ अलाव जल रहे हैं

प्रेम बीज हृदय में पल रहे हैं

हो तरूण या वृद्ध हो

प्रेम में डूबे खेल चल रहे हैं

 

यूं ही रंगीन मौसम आता रहे

दिल को धीमे धीमे सुलगाता रहे

पिघल जाये हिमखंड आगोश में

उन्मुक्त झरना सदा बहता रहे/   

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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