डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं  “भावना के दोहे। ) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 118 – साहित्य निकुंज ☆

☆ भावना के दोहे ☆

रागिनी

मधुर रागिनी छेड़ दी, बजती है झंकार ।।

सुधा बरसती प्रेम की, भीगे दिल के तार।।

 

मयूर

हलचल बादल में हुई, भरे मयूर उड़ान।

ठुमक -ठुमक कर चल रहा, दिखा रहा है शान।।

 

पुष्पज

भ्रमर फूल को देखकर, आते हैं जो पास।

पुष्पज का परिमल उन्हें, देता सुख-उल्लास।।

 

पर्जन्य

उमड़ – घुमड़ कर छा रहे, मिल-जुलकर हर ओर।

देख सभी पर्जन्य को, झूम मचाते शोर।।

 

अंगना ..

छेड़छाड़ से है व्यथित, छुपी अंगना आज।

डर से थरथर काँपती, किसे बताए राज।।

 

© डॉ.भावना शुक्ल

सहसंपादक…प्राची

प्रतीक लॉरेल , C 904, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब  9278720311 ईमेल : [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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