श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “# तुम क्यों उदास रहती हो ? #”)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 66 ☆
☆ # तुम क्यों उदास रहती हो ? # ☆
तुम क्यों उदास रहती हो ?
दिल की बात खुल के
क्यों नहीं कहती हो ?
घुट घुट के जीना भी है
कोई जीना ?
उन्मुक्त नदी सा क्यों नहीं
बहती हो?
उड़ते पंछियों को देखो
कब पिंजरे में बंद रहते है
नापते है आसमां की उंचाई
चांद तारों को
मात करते है
तुम आजादी का पाठ
इनसे क्यों नही
सीखती हो ?
तुम क्यों उदास रहती हो ?
तुम्हारे भी कितने सपने होंगे
तुम्हारे भी कितने अपने होंगे
कोई तो होगा दिल के करीब
दिल के जज्बात
जिससे कहने होंगे
प्यार छुपाने की जरूरत क्या है ?
अपने महबूब से
क्यों नहीं कहती हो ?
तुम क्यों उदास रहती हो?
जिंदगी में किस्मत से
प्यार मिलता है
चाहने वाला सच्चा
दिलदार मिलता है
थाम लो तुम हाथों में
हाथ उसका
वरना जीवन भर का
सिर्फ इंतजार मिलता है
प्यार इबादत है,
दुनिया से क्यों डरती हो ?
तुम क्यों उदास रहती हो ? /
© श्याम खापर्डे
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