(हम प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’जी के आभारी हैं जिन्होने साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक की पुस्तक चर्चा” शीर्षक से यह स्तम्भ लिखने का आग्रह स्वीकारा। श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, मुख्यअभियंता सिविल (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी, जबलपुर ) पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। उनका पारिवारिक जीवन एवं साहित्य में अद्भुत सामंजस्य अनुकरणीय है। इस स्तम्भ के अंतर्गत हम उनके द्वारा की गई पुस्तक समीक्षाएं/पुस्तक चर्चा आप तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं।
आज प्रस्तुत है डा उमेश कुमार सिंग जी की पुस्तक “इक्कीसवीं सदी का भारत” की समीक्षा।
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा# 106 – “इक्कीसवीं सदी का भारत” – डा उमेश कुमार सिंग ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆
म. प्र. साहित्य अकादमी की पत्रिका साक्षात्कार के संपादकीय का संकलन
लेखक – डा उमेश कुमार सिंग
प्रकाशक – संदर्भ प्रकाशन, भोपाल
मूल्य – ३०० रु
संदर्भ प्रकाशन भोपाल श्री राकेश सिंह के समर्पित साहित्य प्रेम का उदाहरण है, किसी भी तरह दिल्ली या जयपुर के प्रकाशको से प्रकाशन, प्रस्तुति, उत्कृष्ट साहित्य के चयन में उन्नीस नही है. विविध विषयो पर साश्वत साहित्य वे लगातार प्रकाशित कर रहे हैं. इसी क्रम में “इक्कीसवीं सदी का भारत ” पुस्तक पढ़ने में आई. लेखक डा उमेश कुमार सिंग जो साहित्य अकादमी के निदेशक रह चुके हैं, और जिनके संपादन में म. प्र. साहित्य अकादमी की पत्रिका साक्षात्कार ने नई उंचाईयां स्पर्श की थीं, के द्वारा उनके संपादन में निकले साक्षात्कार के अंको के संपादकीय आलेखो का संकलन इस पुस्तक में है. कुल २६ लेख हैं. सभी लेख शाश्वत मुक्त चिंतन से उपजे हैं. हर उस व्यक्ति को जिसे स्व से पहले समाज और देश की चिंता हो, ये आलेख जरूर पसंद आयेंगे. अधिकांश लेख मेरे पहले ही साक्षात्कार में पढ़े हुये हैं, जिन पर मैं यदा कदा पाठकीय प्रतिक्रिया भी पत्रिका में ही व्यक्त करता रहा हूं. साहित्य का सरोकार मई २०१६ के अंक से आरंभ जून २०१८ में प्रकाशित रंक को तो रोना है लेख तक सभी न केवल पठनीय हैं वरन मनन करने और चिंताकरते हुये राष्ट्र के लिये किंचित कुछ करने को प्रेरित करते हुये लेख पुस्तक में हैं. लेखक डा उमेश कुमार सिंग ने इतिहास, कविता, आलोचना, संपादन में निरंतर बड़े काम किये हैं उन्हें कई सम्मान और जिम्मेदारियां मिली जिनका उन्होने सफल निर्वाह किया है. ऐसे साहित्यिक समर्पित मनीषी के चिंतन का लाभ पाठको को इस कृति के माध्यम से मिलना तय है.
चर्चाकार… विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’, भोपाल
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈