श्री जय प्रकाश पाण्डेय
(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में सँजो रखा है।आज प्रस्तुत है बैंकर्स के जीवन पर आधारित एक अतिसुन्दर संस्मरण “यादों में रानीताल”।)
☆ संस्मरण # 126 ☆ “यादों में रानीताल” ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆
कल जबलपुर के रानीताल की बात निकल आयी भत्तू की पान की दुकान पर ,,
ठंडी सुबह में दूर दूर तक फैला कोहरा… रानीताल के सौंदर्य को और निखार देता था । चारों तरफ पानी और बाजू से नेशनल हाईवे से कोहरे की धुन्ध में गुजरता हुआ कोई ट्रक ………
पर अब रानीताल में उग आए हैं सीमेंट के पहाड़नुमा भवन ……….।
परदेश में बैठे लोगों की यादों में अभी भी उमड़ जाता है रानीताल का सौंदर्य ……
पर इधर रानीताल चौक में आजकल लाल और हरे सिग्नल मचा रहे हैं धमाचौकड़ी ………।
यादों में अभी भी समायी है वो रानीताल चौक की सिंधी की चाय की दुकान जहाँ सुबह सुबह 15 पैसे में गरम गरम चाय मिलती थी ।
रात को आठ बजे सुनसान हो जाता था रानीताल चौक ……… रिक्शा के लिए घन्टे भर इन्तजार करना पड़ता था,अब ओला तुरन्त दौड़ लगाकर आ जाती है ।
संस्कारधानी ताल – तलैया की नगरी……
किस्सू कहता “ताल है अधारताल, बाकी हैं तलैयां ” फिर सवाल उठता है इतना बड़ा रानीताल ?
रानीताल चौक, रानीताल श्मशान, रानीताल बस्ती, रानीताल मस्जिद और रानीताल के चारों ओर के चौराहे……. पर अब सब चौराहे बहुत व्यस्त हो गए हैं चौराहे के पीपल के नीचे की चौपड़ की गोटी फेंकने वाले अब नहीं रहे पीपल के आसपास गोटी फिट करने वाले दिख जाते हैं……… कभी कभी।
अहा जिंदगी…
अहा यादों में रानीताल……..
© जय प्रकाश पाण्डेय
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