श्री जय प्रकाश पाण्डेय
(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में सँजो रखा है।आज प्रस्तुत है एक अतिसुन्दर व्यंग्य “शादी – ब्याह के नखरे”।)
☆ व्यंग्य # 129 ☆ “शादी – ब्याह के नखरे” ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆
काये भाई इटली शादी करन गए थे और हनीमून किसी और देश में मनाने चले गए….. का हो गओ तो…… शादी में कोऊ अड़ंगा डाल रहो थो क्या ? तबई भागे भागे फिर रहे थे। छक्के पर हम सब लोग छक्कों की तरह ताली बजा बजाकर तुमसे छक्का लगवाते रहे हैं और तुम शादी के चक्कर में इटली भाग गये। जो साऊथ की इडली में मजा है वो इटली की इडली में कहां है। और सीधी-सादी बात जे है कि शादी करन गये थे तो देशी नाऊ और देशी पंडित तो ले जाते कम से कम। बिना नाऊ और पंडित के शादी इनवेलिड हो जाती है मैरिज सर्टिफिकेट में पंडित का प्रमाणपत्र लगता है। सब लोग कह रहे हैं कि यदि इटली में जाकर शादी की है तो इण्डिया में मैरिज सर्टिफिकेट नहीं बनेगा, इण्डिया में तुम दोनों को अलग अलग ही रहना पड़ेगा……. लिव इन रिलेशनशिप में रहोगे तो 28 प्रतिशत जीएसटी देना पड़ेगा और खेल में भी मन नहीं लगेगा।
पेपर वाले कह रहे हैं कि शादी करके उड़ गए थे फिर कहीं और हनीमून मनाके लौट के बुद्धू यहीं फिर आये, कहीं फूफा और जीजा तंग तो नहीं कर रहे थे। यहां आके शादी की पब्लिसिटी के लिए दिल्ली और मुंबई में मेगा पंगत पार्टी करके चौके-छक्के वाली वाह वाही लूट ली।
दाढ़ी वालों का जमाना है दाढ़ी वाले जीतते हैं और विकास की भी बातें करते हैं पर ये भी सच है कि शादी के बाद दाढ़ी गड़ती भी खूब है। कोई बात नहीं दिल्ली की हवेली में जहां तुम आशीर्वाद लेने के चक्कर में घुसे हो उस बेचारे ने शादी करके देख लिया है, तुम काली दाढ़ी लेकर आशीर्वाद लेने गए हो तो वो तुम्हारी दाढ़ी में पहले तिनका जरूर ढूढ़ेगा….. शादी के पहले और शादी के बाद पर कई तरह के भाषण पिला देगा। तुम शादी की मेगा पंगत में खाने को बुलाओगे तो वो झटके मारके बहाने बना देगा….. तुम बार बार पर्दे के अंदर झांकने की कोशिश करोगे तो डांटकर कहेगा – बार बार क्या देखते हो बंगले में “वो “नहीं रहती, हम ब्रम्हचारी हैं….. शादी करके सब देख चुके हैं दाढ़ी से वो चिढ़ती है और दाढ़ी से हम प्यार करते हैं……. अरे वो क्या था कि पंडित और नाऊ ने मिलकर बचपन में शादी करा दी थी तब हम लोग खुले में शौच जाया करते थे…… शादी के बहुत दिन बाद समझ में आया कि इन्द्रियों के क्षुद्र विषयों में फंसे रहने से मनुष्य दुखी रहता है इन्द्रियों के आकर्षण से बचना, अपने विकारों को संयम द्वारा वश में रखना, अपनी आवश्यकताओं को कम करना दुख से बचने का उपाय है…… सो भाईयो और बहनों जो है वो तो है उसमें किया भी क्या जा सकता है जिनके मामा इटली में रहते हैं उनको भी हमारी बात जम गई है……..
-हां तो बताओ इटली में जाकर शादी करने में कैसा लगा ?
—-सर जी, हमसे एक भूल हो गई अपना देशी नाऊ और देशी पंडित शादी में ले जाना भूल गए, इटली वालों को जल्दी पड़ी थी। सर यहां के लोग कह रहे हैं कि मैरिज सर्टिफिकेट यहां नहीं बनेगा….. अब क्या करें ?
—बात तो ठीक कह रहे हैं 125 करोड़ देशवासियों का देश है, फिर भी देखते हैं नागपुर वालों से सलाह लेनी पड़ेगी।
….. शहर का नाम लेने से डर लगता है क्योंकि वे शादी-ब्याह से चिढ़ते हैं शादी के नाम पर गंभीर हो जाते हैं घर परिवार और मौजूदा हालात से उदासीन रहते हैं शादी का नाम लो तो उदासी ओढ़ लेते हैं उदासी जैसे मानसिक रोग से पीड़ित रोगी सदा गंभीर और नैराश्य मुद्रा बनाये रखते हैं आधुनिक देशभक्ति पर जोर देते हैं, आधार को देशभक्ति से जोड़ने के पक्षधर होते हैं ऐसे आदमी देखने में ऐसे लगते हैं जैसे वे किसी मुर्दे का दाहकर्म करके श्मशान से लौट रहे हों।
पान की दुकान में खड़ा गंगू उदास नहीं है बहुत खुश दिख रहा है खुशी का राज पूछने पर गंगू ने बताया कि वह दिल्ली की मेगा पंगत पार्टी से लौटा है और बाबा चमनबहार वाला पान खा रहा है। गंगू ने बताया कि कम से कम 100 करोड़ की शादी हुई होगी, इटली में शादी…. एक और देश जिसका नाम अजीब है वहां हनीमून और दिल्ली में पंगत………..
गंगू ने मजाक करते हुए हंसकर बताया कि महिला का नाम भले ही कुछ भी क्यों न हो….. भले शादी में 100 करोड़ ही क्यों न ख़र्च किए हों लेकिन वो 50 पर्सेंट की सेल की लाइन में खड़े होने में शर्मा नहीं सकती पति कितना भी विराट क्यों न हो बीबी उसे झोला पकड़ा ही देती है।
शादी की मेगा पंगत पार्टी के अनुभवों पर चर्चा करते हुए गंगू ने बताया कि 100 नाई और 100 पंडित की फरमाइश पर जमीन पर बैठ कर पंगत लगाई गई बड़े बड़े मंत्री और उद्योगपतियों की लार टपक रही थी अरे शादी की पंगत में जमीन पर बैठ कर पतरी – दोना में खाने का अलग सुख है वे सब ये सुख लेने के लिए लालायित थे पर अहं और आसामी होने के संकोच में कुछ नहीं कर पा रहे थे। तो पंगत बैठी परोसने वाले की गलती से गंगू को “मही-बरा” नहीं परोसा गया तो गंगू ने हुड़दंग मचा दी, वर-वधू को गालियाँ बकना चालू कर दिया और खड़े होकर पंगत रुकवा दी चिल्ला कर बोला – इस पंगत में गाज गिरना चाहिए, जब पंडितों ने पूछा कि गाज गिरेगी तो गंगू तुम भी नहीं बचोगे…. तब गंगू ने तर्क दिया कि जैसे पंगत में मठा – बरा सबको मिला और गंगू की पतरी को नहीं मिला वैसई गाज गिरने पर गंगू बच जाएगा। तुरत-फुरत गंगू के लिए मही-बरा बुलवाया गया तब कहीं पंगत चालू हो पाई।
पंगत के इस छोर पर 50 पुड़ी खाने के बाद एक पंडित बहक गये कहने लगे – शादी जन्म जन्मांतर का बंधन होता है छक्के मारते रहने से मजबूत गठबंधन बनता है छक्के – चौके लगाने से फिल्मी स्टारों से शादी हो जाती है और शादी से सम्पत्ति बढ़ती है। हालांकि भले बाद में पछताना पड़े पर ये भी सच है कि शादी वो लड्डू है जो खाये वो पछताये जो न खाये वो भी पछताये….. और पंडित जी ने दोना में रखे दो बड़े लड्डू एक साथ गुटक लिए……… ।
© जय प्रकाश पाण्डेय
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