डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं आपकी एक भावप्रवण रचना “माहिया”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 131 – साहित्य निकुंज ☆
☆ कविता – माहिया ☆
अहसास सुखों का माँ
देती आशीषें
हो नाश दुखों का माँ..
ममता का सागर है
देना जाने माँ
भरती गागर है.
रिश्तों को जीती है
मेरी माँ छिप छिप
अश्कों को पीती है.
..
भजनों का गायन है
काबा काशी माँ
गीता रामायन है..
माँ हल्दी -चंदन है
दर्द न जीवन में
शत् शत् माँ वंदन है..
घर माँ से पुलकित है
महके चंदन-सा
आँगन आलोकित है।
© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
प्रतीक लॉरेल, J-1504, नोएडा सेक्टर – 120, नोएडा (यू.पी )- 201307
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈