(हम प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’जी के आभारी हैं जिन्होने साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक की पुस्तक चर्चा” शीर्षक से यह स्तम्भ लिखने का आग्रह स्वीकारा। श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, मुख्यअभियंता सिविल (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी, जबलपुर ) पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। उनका पारिवारिक जीवन एवं साहित्य में अद्भुत सामंजस्य अनुकरणीय है। इस स्तम्भ के अंतर्गत हम उनके द्वारा की गई पुस्तक समीक्षाएं/पुस्तक चर्चा आप तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं।
आज प्रस्तुत है फारूक अफरीदी, कविता मुखर द्वारा पुस्तक “चटपटे शरारे” की समीक्षा।
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा# 110 ☆
☆ “चटपटे शरारे” … संपादन… फारूक अफरीदी, कविता मुखर ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆
चटपटे शरारे
राही रेंकिंग २०२० में चयनित व्यंग्यकारों का व्यंग्य संकलन
संपादन… फारूक अफरीदी, कविता मुखर
संयोजक… प्रभात कुमार गोविल, डॉ. संजीव कुमार
प्रकाशक… इंडिया नेटबुक्स प्रा लिमि नोएडा
मूल्य ४००रु, पृष्ठ २०४
चर्चाकार.. विवेक रंजन श्रीवास्तव
शतक एक ऐसी संख्या है जो एक मान्य मुकाम की उद्घोषणा के रूप में स्थापित हो चुकी है. क्रिकेट में शतकीय पारी, उम्र में १०० बरस की जिंदगी, परीक्षाओ में १०० अंको के पूर्णांक वगैरह वगैरह… वर्ष २०१५ से राही सहयोग संस्थान नामक संस्था ने स्वैच्छिक रूप से कुल पचपन सदस्यों का एक समूह बनाया. इन सदस्यों में कुछ शिक्षक, विद्यार्थी, शोधार्थी, संपादक, समीक्षक, सामान्य रूचि शील पाठकों के रूप में कुछ साहित्यानुरागी गृहणियाँ थी । पुस्तकालय कर्मी, प्रकाशक और प्रतिष्ठित पुस्तक विक्रेता तक शामिल थे और शेष इंटरनेट सर्फर्स थे । प्रबुद्ध साहित्यिक प्रबोध कुमार गोविल जी की इस पहल का उद्देश्य था कि हिन्दी पाठकों को हिन्दी दिवस के अवसर पर हिन्दी जगत के १०० सक्रिय श्रेष्ठ रचनाकारों से एक रेंकिंग के जरिये परिचित करवाना. २०१५ से प्रारंभ यह इरादा अब तक लगातार मूर्त रूप ले रहा है, और अब इसकी गूंज वैश्विक हो चली है.
वर्ष २०१७ की इस रैंकिंग के तीसरे वर्ष में लगातार चुने गए साहित्यकारों के विस्तृत साक्षात्कारों पर आधारित एक किताब “ हरे कक्ष में दिनभर ” प्रबोध कुमार गोविल के संपादन में प्रकाशित हुई.इंडिया नेटबुक्स प्रा लिमि नोएडा के संस्थापक श्री संजीव कुमार एक प्रयोगधर्मी साहित्यकार भी हैं, उनके सहयोग से वर्ष २०२० की राही रैंकिंग सूची में चयनित व्यंग्यकारो, कवियों, लघुकथाकारो, कहानीकारो आदि के विधावार रचना संकलन प्रकाशित किये गये. वरिष्ठ व्यंग्यकार फारूक अफरीदी एवं सुश्री कविता मुखर के संपादन में चटपटे शरारे शीर्षक से राही रेंकिंग २०२० में चयनित व्यंग्यकारों का व्यंग्य संकलन प्रकाशित हुआ है.
यह संकलन अपने आप में इस दृष्टि से अनूठा है कि इसमें सर्वश्री अरविंद तिवारी, डा गिरिराजशरण अग्रवाल, गिरीश पंकज, गोपाल चतुर्वेदी, गोविंद शर्मा, डा ज्ञान चतुर्वेदी, हरीश नवल, डा हेतु भारद्वाज, ईश मधु तलवार, लालित्य ललित, प्रभात गोस्वामी , डा नरेंद्र कोहली, प्रेम जनमेजय, रामदेव धुरंधर, डा सूर्यबाला, तेजेन्द्र शर्मा तथा विभूति नारायन राय जैसे स्वनाम धन्य सुस्थापित व्यंग्यकारो के चुटीले व्यंग्य ही नही, उन व्यंग्य लेखों पर समकालीन व्यंग्यकारो की समीक्षात्मक विस्तृत टिप्पणियां भी पुस्तक में संग्रहित हैं. इस तरह शोधार्थियों हेतु एक प्रारंभिक कार्य पहले ही कर सुलभ कर दिया गया है. विभिन्न संकलित व्यंग्य रचनाओ पर की गई टिप्पणीयों में सर्वश्री पिलकेंद्र अरोड़ा, डा उषारानी राव, डा चित्तरंजन कर, सुरेश अवस्थी, भारती पाठक, डा मंगत बादल, बुलाकी शर्मा, अजय अनुरागी, रास बिहारी गौड़, राजेंद्र मोहन शर्मा, राजेश कुमार, सवाई सिंह शेखावत, अर्चना चतुर्वेदी, सुभाष चंदर, बसंती पंवार, अनूप घई, ब्रजेश कानूनगो, हेतु भारद्वाज, डा आभा सिंह, बी एल आच्छा, सुनीता शानू, और विजी श्रीवास्तव जैसे सक्रिय पाठक व लेखक महत्वपूर्ण हैं. एक नियत समय सीमा में चयनित व्यग्यकारों से रचनायें प्राप्त कर उन पर देश भर में फैले रचनाकारों से विशद टिप्पणियां बुलवाकर उन्हें संपादित कर किताब का स्वरूप देना श्रमसाध्य साहित्यिक कार्य है, जिसे संपादक द्वय ने पूरी जिम्मेदारी से कर दिखाया है. श्री फारूक अफरीदी जी का विस्तृत संपादकीय स्वयं में व्यंग्य की वर्तमान स्तिथियों का पूरा लेखा जोखा है. कविता जी ने अपने संपादकीय में संकलित रचनाओ पर गंभीर टिप्पणियां की हैं. कुल मिलाकर चटपटे शरारे वर्ष २०२० के व्यंग्य परिदृश्य का शोध दस्तावेज निरूपित किया जा सकता है.
यह जानकारी देना प्रासंगिक होगा कि वर्ष २०२१ के चयनित व्यंग्यकारों के व्यंग्य संकलन पर मेरे तथा श्री अरुण अर्नव खरे के संपादन में कार्य चल रहा है. जल्दी ही यह संकलन भी प्रकाशित होगा, इससे पहले मैं पाठकों को चटपटे शरारे खरीद कर पढ़ने की सलाह दूंगा.
चर्चाकार… विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’
ए २३३, ओल्ड मीनाल रेसीडेंसी, भोपाल, ४६२०२३
मो ७०००३७५७९८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
प्रेरक
व्यंग्य विधा में इस तरह की संभवतः यह पहली पुस्तक है। देश विदेश के नामचीन व्यंग्यकारों को एक साथ लाना भी तो इतना आसान नहीं था। यद्यपि गत कुछ वर्षों से इस तरफ अच्छा काम हुआ है।
राही रैंकिंग की मैं शुक्रगुजार हूं चटपटे शरारे के संपादन का सुनहरा अवसर मुझे दिया।