डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं आपकी एक भावप्रवण रचना “ख्वाब में कितना मीठापन…”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 137 – साहित्य निकुंज ☆
☆ ख्वाब में कितना मीठापन… ☆
वादा करके किधर गये
उससे क्या तुम मुकर गये।
बीत गई है सदिया सारी
दिन इंतजार में गुजर गए ।
ख्वाब में कितना मीठापन
आँख खुली तो बिखर गये।
जिनके चेहरे पर मुखौटा
वे सारे ही चेहरे उतर गये।
तुमसे सारी ही है उम्मीदे
उनके सब चेहरे सवंर गये।
© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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