श्री संतोष नेमा “संतोष”

(आदरणीय श्री संतोष नेमा जी  कवितायें, व्यंग्य, गजल, दोहे, मुक्तक आदि विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं. धार्मिक एवं सामाजिक संस्कार आपको विरासत में मिले हैं. आपके पिताजी स्वर्गीय देवी चरण नेमा जी ने कई भजन और आरतियाँ लिखीं थीं, जिनका प्रकाशन भी हुआ है. आप डाक विभाग से सेवानिवृत्त हैं. आपकी रचनाएँ राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होती रहती हैं। आप  कई सम्मानों / पुरस्कारों से सम्मानित/अलंकृत हैं. “साप्ताहिक स्तम्भ – इंद्रधनुष” की अगली कड़ी में आज प्रस्तुत हैं आपकी एक भावप्रवण रचना  “बारिश आई… … । आप श्री संतोष नेमा जी  की रचनाएँ प्रत्येक शुक्रवार आत्मसात कर सकते हैं।)

☆ साहित्यिक स्तम्भ – इंद्रधनुष # 128 ☆

☆ बारिश आई…  ☆ श्री संतोष नेमा ☆

 छम  छम  करते  नाचती  आई

खुशियों  संग यह  बारिश आई

 

बिजली जब अंबर में  चमकती

तभी धरा पर  चिड़ियाँ चहकतीं

कारी  बदरी   इठिलाकर   आई

खुशियों  संग  यह बारिश  आई

 

नभ  भी  नई  अब  छटा  बिखेरे

मोर   नाच   कर    खुशी    उकेरे

सूरज  ने  भी  अब  ली  अंगड़ाई

खुशियों   संग  अब बारिश  आई

 

ठंडी   हुई    धरती    की    छाती

फसल खूब हँस हँस  लहलहाती

गृहणियों को घर  की सुधि  आई

खुशियों  संग अब  बारिश  आई

 

छप-छपाक करता  था  बालपन

डरता  आज  पर  वह नन्हा  मन

दें  न  कागज  की   नाव   भुलाई

खुशियों  संग अब  बारिश  आई

 

चहुँ   ओर  “संतोष”   का  बसेरा

खुश  किसान   एक  नया  सबेरा

गीतों     की   नई     बेला    आई

खुशियों  संग  अब बारिश   आई

छम छम   करते   नाचती    आई

© संतोष  कुमार नेमा “संतोष”

सर्वाधिकार सुरक्षित

आलोकनगर, जबलपुर (म. प्र.) मो 9300101799
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈
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