श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “# पल पल बदलती दुनिया में… #”)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 90 ☆
☆ # पल पल बदलती दुनिया में… # ☆
पल पल बदलती दुनिया में
ना जाने क्या कल होगा ?
फुलों से भरा होगा दामन
या कांटों का कोई छल होगा ?
नभ में गरज रहे बादल
धरा फैलाये है आंचल
तपती देह की प्यास बुझाने
अंबर से टपकेगा वर्षा का जल
क्या खूब होगी बारिश या
तरसाता यह बादल होगा ?
काली काली घटाएं छाई है
वसुधा से मिलने आई है
तड़प देख कर अचला की
निर्मल जल लाई है
प्रणय में हिमखंड टूटेंगे या
अवरोध पवन का प्रबल होगा ?
बरसात में साथी छूट रहे हैं
रिश्ते नाते सब टूट रहे हैं
धोखे हैं कदम कदम पर
दोस्त बनकर लूट रहे हैं
गले मिलों तो जरा संभलकर
ना जाने कौन कातिल होगा ?
पल पल बदलती दुनिया में
ना जाने क्या कल होगा ?
फूलों से भरा होगा दामन
या कांटों का कोई छल होगा ? /
© श्याम खापर्डे
फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो 9425592588
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