प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध

(आज प्रस्तुत है गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी  द्वारा रचित एक भावप्रवण कविता  शुभ भावना…!। हमारे प्रबुद्ध पाठक गण  प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी  काव्य रचनाओं को प्रत्येक शनिवार आत्मसात कर सकेंगे। ) 

☆ काव्य धारा 94 ☆ शुभ भावना…!” ☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ ☆

जिनके मन में अपनों के प्रति स्नेह कम दुर्भाव है 

यह समझना चाहिए कि उनका गलत स्वभाव है

 मिलकर रहने से बढा करती है ममता भावना 

आज लेकिन सब घरों में ममता का ही अभाव है 

 

आने जाने से ही मन में बढ़ता जाता प्यार है 

प्यार ही संसार में हर खुशी का आधार है

मधुर वाणी जीत लेती सहज ही सद्भावना

प्रेम से ही चल रहा संसार का व्यवहार है

 

जहां भी संसार में होती कमी है स्नेह की

वहीं झट उत्पन्न होती है व्यथा संदेह की

प्रेम पूरित मन सभी की चाहता शुभकामना 

बात कुछ करती नहीं है किसी से विद्वेष की 

 

स्नेह जल में मन सरोवर में सदा खिलते कमल 

सुखद औ आनंददायी मनोहर पावन विमल 

जिनके दर्शन देते रहते मन को सुख औ शांति भी 

कभी कोई दुर्भाव उस मन में न हो सकता प्रबल

© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ 

ए २३३ , ओल्ड मीनाल रेजीडेंसी  भोपाल ४६२०२३

मो. 9425484452

[email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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