श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “# रेशम के धागे… #”)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 93 ☆
☆ # रेशम के धागे… # ☆
यह रेशम के धागों का बंधन
हृदय में भर देता है स्पंदन
भाई बहन के पवित्र रिश्ते को
मेरा कोटि कोटि वंदन
बहन तकती है वर्ष भर बाट
भाई को कब बांधूंगी
रेशम की गांठ
रंग बिरंगी राखियों मे से
एक राखी लाती है छांट
वो –
फल, फूल और मिठाई लाई
भाई को संदेशा भिजवाई
आ जाना राखी बंधवाने
बाट देखती हूँ भाई
भाई जब राखी बंधवाता है
बहन पर स्नेह दिखाता है
रक्षा करूंगा मैं जीवनभर
मन ही मन ढाढस बंधाता है
भाग्यशाली है वो, जिनकी है बहना
उनकी खुशी का क्या कहना
जिनके भाई -बहन नहीं होते
उन अभागों को पड़ता है
कितना दुःख सहना
नसीब वाला है वो भाई
बहना ने जिसको राखी भिजवाई
मै अभागा हूँ इस जग में
मुझ तक कोई राखी ना आई
खुशी खुशी यह पर्व मनाऐ
भाई -बहन का रिश्ता निभाएं
हाथों पर बंधे यह स्नेह के धागे
जीवन में अनंत खुशियां लाएं
© श्याम खापर्डे
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