श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’

(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा  रात  का  चौकीदार”   महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं की  “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ  समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज प्रस्तुत है आपकी विचारणीय कविता “हार जीत का प्रश्न नहीं है…”)

☆  तन्मय साहित्य # 150 ☆

☆ कविता – हार जीत का प्रश्न नहीं है ☆ श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ ☆

कौन गलत है कौन सही है

हार जीत का प्रश्न नहीं है।

आप सतत निगरानी में हैं

उसकी सत्य कहानी में हैं

आकर्षक इस रंगमंच पर

शक्ल नई अनजानी में हैं,

सोचा! कभी स्वयं की कब

परछाई खुद से अलग रही है

हार जीत का प्रश्न नहीं है।

 

खुद होकर कोईं कब बोले

भेद न कोईं अपने खोले

समय, तराजू लिए खड़ा है

साँच-झूठ पल-पल का तोले,

सबकी करतूतों के अपने

अपने खाते और बही है

हार जीत का प्रश्न नहीं है।

 

खुश है मन तो कभी विकल है

मछली की भांति चंचल है

मृग मरीचिकाओं से मोहित

चलती रहे सदा हलचल है,

जीवन के सच से अबोध

ये राग-द्वेष सुख-दुख सतही है

हार जीत का प्रश्न नहीं है

कौन गलत है कौन सही है।

 

© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय

अलीगढ़/भोपाल   

मो. 9893266014

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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