श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “#कितने दूर, कितने पास…#”)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 99 ☆
☆ # कितने दूर, कितने पास… # ☆
सुबह सुबह मार्निंग वाक में
घूमते हुए
ठंडी ठंडी शुद्ध हवा को
चूमते हुए
हमारा पुराना रिटायर्ड मित्र मिला
बातों का चल पड़ा सिलसिला
उसी समय उसके अमेरिका वाले
पुत्र का फोन काल आया
हमारा मित्र खुशी से मुस्कुराया
पुत्र ने पूछा,’ पापा ! आप और मम्मी कैसे हैं ?
दोनों की तबीयत कैसी है ?
मित्र ने कहा,’ सब बढ़िया है
आप लोग भी खुश रहो,
मुस्कुराते रहो ‘
कुछ देर बाद दूसरे पुत्र का फोन आया,
पापा,’ आपकी तबियत कैसी है?
शुगर नार्मल है या पहले जैसी है?
मित्र ने कहा – यार, मस्त हूँ
अपने आप में व्यस्त हूँ
कल ही चेक कराया है,
सब नार्मल आया है
सब खा पी रहा हूँ,
मस्ती में जी रहा हूँ.
मित्र ने बताया यह एयर फोर्स में है,
हमको प्यारा मोस्ट है,
श्रीनगर में पोस्ट है
दोनों बेटे सुबह सुबह फोन करते हैं,
हाल चाल पूछते रहते हैं,
दोनों बड़े सुशील समझदार बच्चे हैं,
यार, मुझसे तो दोनों अच्छे हैं
मैंने कहा,’ भाई तुम भाग्यवान हो,
किस्मत वाले इन्सान हो
तुम्हे जीते जी मोक्ष मिल गया है
जीवन में ही स्वर्ग खिल गया है
वरना –
आज के युग में
बच्चे माँ-बाप को बोझ कहते हैं
बुढ़ापे में लोग क्या क्या सहते हैं
साथ में रहकर भी
माँ-बाप को कोई पूछता नहीं है
बीबी बच्चे के सिवा उनको
कुछ सूझता नहीं है
हमारे जैसे कितने साथ रहकर भी
बच्चों से कितने दूर हैं
यह बात बहुत ही खास है
कि
तुम्हारे बच्चे देश-विदेश में रहकर भी ,
तुम्हारे कितने पास है /
© श्याम खापर्डे
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