डॉ राजकुमार तिवारी ‘सुमित्र’
(संस्कारधानी जबलपुर के हमारी वरिष्ठतम पीढ़ी के साहित्यकार गुरुवर डॉ. राजकुमार “सुमित्र” जी को सादर चरण स्पर्श । वे आज भी हमारी उंगलियां थामकर अपने अनुभव की विरासत हमसे समय-समय पर साझा करते रहते हैं। इस पीढ़ी ने अपना सारा जीवन साहित्य सेवा में अर्पित कर दिया। वे निश्चित ही हमारे आदर्श हैं और प्रेरणा स्त्रोत हैं। आज प्रस्तुत हैं आपके दोहे – श्याम समर्पिता मीरा से..(मीरा दोहावली)।)
साप्ताहिक स्तम्भ – लेखनी सुमित्र की # 107 – दोहे – श्याम समर्पिता मीरा से..(मीरा दोहावली)
सुमिरन मीरा नाम का, बजे हृदय के तार।
प्रेम भक्ति के सिंधु में, उठे ज्वार ही ज्वार।।
चिन्मय वाणी प्रेम की, गोपी प्रेम प्रतीति ।
मीरा ने आरंभ की, नई प्रीति की रीति ।।
मीरा दासी श्याम की, कृष्णमयीअनमोल ।
जगत प्रबोधित कर रही, घूँघट के पट खोल ।।
मोर मुकुट वंशी हृदय, नेह-निलय घनश्याम ।
नाचे मीरा बावरी, ले गिरधर का नाम।।
© डॉ राजकुमार “सुमित्र”
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