श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “#माता ! तेरा ही सहारा है…#”)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 100 ☆
☆ # माता ! तेरा ही सहारा है… # ☆
अंधकार में जग सारा है
दुःख दर्द का मारा है
भक्तों ने तूझे पुकारा है
माता! तेरा ही सहारा है
धरती पर कितना पाप बढ़ गया
अहंकार कुछ के सर चढ़ गया
सत्य कदम कदम पर हारा है
माता! तेरा ही सहारा है
घर घर में तेरी ज्योत जल रही
भक्ति भाव से तेरी पूजा चल रही
हाथ जोड़े तेरे दर पे
भक्त बेचारा है
माता! तेरा ही सहारा है
एक वर्ग कितना शोषित है
जोर ज़ुल्म से कितना पीड़ीत है
ढूंढ रहा वह किनारा है
माता! तेरा ही सहारा है
मनोकामना तू पूरी कर दें
सब भक्तो की झोली भर दें
पोंछ लें इन आंखों से
जो बहती धारा है
माता! तेरा ही सहारा है
नवरात्रि के यह पावन नौ दिन
भक्ति, व्रत, पूजा करते है हर दिन
हर मंदिर में गूंजता
माता का जैकारा है
माता! तेरा ही सहारा है
इन अधर्मी यों को दंड दे माता
भक्तों को शक्ति प्रचंड दें माता
हर युग में, तूने ही तो तारा है
माता! तेरा ही तो सहारा है /
© श्याम खापर्डे
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