डॉ. सलमा जमाल
(डा. सलमा जमाल जी का ई-अभिव्यक्ति में हार्दिक स्वागत है। रानी दुर्गावती विश्विद्यालय जबलपुर से एम. ए. (हिन्दी, इतिहास, समाज शास्त्र), बी.एड., पी एच डी (मानद), डी लिट (मानद), एल. एल.बी. की शिक्षा प्राप्त । 15 वर्षों का शिक्षण कार्य का अनुभव एवं विगत 25 वर्षों से समाज सेवारत ।आकाशवाणी छतरपुर/जबलपुर एवं दूरदर्शन भोपाल में काव्यांजलि में लगभग प्रतिवर्ष रचनाओं का प्रसारण। कवि सम्मेलनों, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं में सक्रिय भागीदारी । विभिन्न पत्र पत्रिकाओं जिनमें भारत सरकार की पत्रिका “पर्यावरण” दिल्ली प्रमुख हैं में रचनाएँ सतत प्रकाशित।अब तक 125 से अधिक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार/अलंकरण। वर्तमान में अध्यक्ष, अखिल भारतीय हिंदी सेवा समिति, पाँच संस्थाओं की संरक्षिका एवं विभिन्न संस्थाओं में महत्वपूर्ण पदों पर आसीन।
आपके द्वारा रचित अमृत का सागर (गीता-चिन्तन) और बुन्देली हनुमान चालीसा (आल्हा शैली) हमारी साँझा विरासत के प्रतीक है।
आप प्रत्येक बुधवार को आपका साप्ताहिक स्तम्भ ‘सलमा की कलम से’ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है डॉ सलमा जमाल जी द्वारा 9 अक्तूबर को पैगंबर मोहम्मद साहब के जन्मदिन पर रचित विशेष ग़ज़ल “मोहम्मद से प्यारा-…”।
साप्ताहिक स्तम्भ – सलमा की कलम से # 41
पैगंबर मोहम्मद साहब के जन्मदिन पर विशेष – ग़ज़ल – 🕋 मोहम्मद से प्यारा-… 🕋 डॉ. सलमा जमाल
मोहम्मद से प्यारा ,
कोई नहीं है ।
नबी जैसा दुलारा ,
कोई नहीं है ।।
आमना की बेटे ,
हलीमा के तारे ।
आज तुमसा सहारा ,
कोई नहीं है ।।
जो भी करूं उसमें ,
रब की रज़ा हो ।
क़ुरआन से प्यारा ,
कोई नहीं है ।।
बचा लो नबी बड़ी ,
ज़ालिम है दुनिया ।
मुझसे गुनहगार ,
कोई नहीं है ।।
नवासे तुम्हारे ,
हुसैनो – हसन से ।
फ़ातिमा सी बेटी ,
कोई नहीं है ।।
दमें वापसी ,
सामने हो मदीना ।
अब ख़ुश क़िस्मत मुझसा,
कोई नहीं है ।।
अदब से कहूं सलमा ,
उम्मत तुम्हारी ।
बरसाओ रहमत ,
अब कोई नहीं है ।।
© डा. सलमा जमाल
298, प्रगति नगर, तिलहरी, चौथा मील, मंडला रोड, पोस्ट बिलहरी, जबलपुर 482020
email – [email protected]
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈