श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है दीप पर्व पर आपकी एक भावप्रवण कविता “#चलो एक दीपक जलाएं …#”)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 103 ☆
☆ # चलो एक दीपक जलाएं… # ☆
आज अमावस की काली रात है
बुरी आत्माओं की बरसात है
तारें भी टिम टिमा रहे हैं
अंधेरे को बढ़ा रहे हैं
रात नागिन सी चल रही है
धीरे धीरे, हौले हौले ढल रही है
नींद ने आगोश में भर लिया है
अपने सम्मोहन में कर लिया है
चलो रोशनी का कोई जरिया बनाऐ
चलो एक दीपक जलाएं
यह अट्टालिका यें जगमगा रही है
रोशनी इनसे छन कर आ रही है
आतिशबाजी मन लुभा रही है
अंबर पर रंगोली सजा रही है
पर इस बस्ती में कितना अंधेरा है
रात बैरन का यहीं पर डेरा है
भूख और गरीबी के सब मारें है
निर्धन, बेबस ईश्वर के सहारे है
इनके जीवन में कुछ खुशियां लाए
चलो एक दीपक जलाएं
जो उजाले में मेरे साथ साथ चले
बेपरवाह मेरे मिलते थे गले
साथ निभाने की कसमें खाई थी
मेरा दिन और रात जगमगाई थी
उसके चेहरे पर बरस रहा था नूर
अपने प्यार पर मुझको था गुरूर
अंधेरे से घबराकर अकेला छोड़ गए
पलभर में रिश्ते नाते तोड़ गए
प्रित की मजार पर
दिलों को जलाकर
कुछ रोशनी करें
कुछ फूल चढ़ायें
चलो एक दीपक जलाएं/
© श्याम खापर्डे
फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो 9425592588
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