श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है दोहाश्रित सजल “रामराज्य का सपना खोया… ”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 58 – सजल – रामराज्य का सपना खोया… ☆
समांत- इया
पदांत- में
मात्राभार- 16
प्रजातंत्र की इस बगिया में।
खुशियाँ रूठीं हैं कुटिया में ।।
रामराज्य का सपना खोया,
भ्रष्टाचारों की कुठिया में ।
भीत खड़ी हैं भेद भाव की,
लटकीं हैं फोटो खुटिया में।
हिंदुस्तानी बचे कहाँ हैं,
सभी सो गए हैं खटिया में।
हवलदार की ताकत होती,
उसकी वर्दी सँग लठिया में।
खेत और खलिहान कृषक के,
देकर बैठे हैं अधिया में ।
चलो बचाएँ वर्षा-पानी,
भर-भरकर अपनी लुटिया में।
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6 सितम्बर 2021
© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
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