श्री एस के कपूर “श्री हंस”
(बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री एस के कपूर “श्री हंस” जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। आप कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं। साहित्य एवं सामाजिक सेवाओं में आपका विशेष योगदान हैं। आप प्रत्येक शनिवार श्री एस के कपूर जी की रचना आत्मसात कर सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपका एक भावप्रवण मुक्तक ।। नारी तुझको अबला नहीं, सबला बन कर जीना है ।।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ “श्री हंस” साहित्य # 43 ☆
☆ मुक्तक ☆ ।। नारी तुझको अबला नहीं, सबला बन कर जीना है ।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆
[1]
मोमबत्ती नहीं हर हाथ, में मशाल चाहिए।
नम नहीं आंखें अब, यह लाल चाहिए।।
नारी के प्रति श्रद्धा, जब होने लगे कम।
कबतक यूं हीअब, हल यह सवाल चाहिए।।
[2]
नर पिशाच नहीं ये, नर नारायण का देश है।
बदल रहा क्यों यह, जहरीला परिवेश है।।
नारी प्रति भेदभाव विद्वेष, कब तक चलेगा।
नारी शक्ति देवी पूज्य, यही पुरातन संदेश है।।
[3]
नारी सृष्टि रचनाकार, विधि विधान उसी से है।
मातृ भूमि धरा का भी, सम्मान उसी से है।।
विधाता का रूप स्वरूप, समाया हर स्त्री में।
मानवता की सेवा और, गुणगान उसी से है।।
[4]
बच्चों को प्रारंभ से, साहस संस्कार देना चाहिए।
उनको उचित ज्ञान और, सरोकार देना चाहिए।।
बेटियों को बेटों सा, ही हमें सशक्त बनाना है।
जबअस्मिता पेआंच, हाथ में तलवार देना चाहिए।।
5
नारी तुमकोअबला नहीं, सबला बनके जीना है।
तुझसे ही घर परिवार, सुंदर रूप नगीना है।।
स्त्री सम्मान ही धुरी, अपने समाज कल्याण की।
बन जा रणचंडी नहीं घूंट, अपमान का पीना है।।
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© एस के कपूर “श्री हंस”
बरेली
मोब – 9897071046, 8218685464