श्री जय प्रकाश पाण्डेय
(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में सँजो रखा है । प्रस्तुत है साप्ताहिक स्तम्भ की अगली कड़ी में उनकी एक लघुकथा “खिचड़ी और खुचड़”। आप प्रत्येक सोमवार उनके साहित्य की विभिन्न विधाओं की रचना पढ़ सकेंगे।)
☆ जय प्रकाश पाण्डेय का सार्थक साहित्य # 22☆
☆ लघुकथा – खिचड़ी और खुचड़ ☆
जब उनकी राजनीतिक खिचड़ी पक रही थी तो वे दर्द से कराह उठे, बड़े नेता थे तो लोग दौड़े और उनको अस्पताल में भर्ती कर दिया। डाक्टर ने जैसई देखा कि ये तो पैसे कमाने वाले भूतपूर्व मंत्री भी रहे हैं तो डॉक्टर की नियत खराब हो गई, झट से कह दिया गंभीर हार्ट अटैक।
नेता जी का खाना पीना बंद खिचड़ी चालू……. चटोरी जीभ में गरीब खिचड़ी रास नहीं आई तो रात को चुपके से उनके भक्त ने गर्मागर्म बटर मसाला वाला मुर्गा सुंघा दिया, छुपके पेट भर खा गए और सो गए फिर सबेरे सबेरे खुदा को प्यारे हो गए। दूसरे दिन भीड़ उबरी। दाह संस्कार हुआ फिर पूरे खानदान और भक्तों ने बिना नमक की खिचड़ी बेमन से खायी। खानदान के जो लोग उस रात बिना नमक की खिचड़ी खाने नहीं आए उनको जाति से निकाल दिया गया।
कई भक्तों ने इच्छा जतायी थी कि जब भविष्य में खिचड़ी को राष्ट्रीय व्यंजन का दर्जा मिलेगा तो योजना उनके नाम पर चलायी जावे।
© जय प्रकाश पाण्डेय