श्री एस के कपूर “श्री हंस”

(बहुमुखी प्रतिभा के धनी  श्री एस के कपूर “श्री हंस” जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। आप कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं। साहित्य एवं सामाजिक सेवाओं में आपका विशेष योगदान हैं।  आप प्रत्येक शनिवार श्री एस के कपूर जी की रचना आत्मसात कर सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपका एक भावप्रवण मुक्तक ।।जीतना है तो सीने में अगन और मन में लगन होनी चाहिये।।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ “श्री हंस” साहित्य # 50 ☆

☆ मुक्तक  ☆ ।।जीतना है तो सीने में अगन और मन में लगन होनी चाहिये।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆ 

[1]

हालात कितने  खराब हों, पर रोया नहीं  करते।

कभी जोशऔर होश को, यूँ ही खोया नहीं करते।।

ईश्वर भी सहयोग करते हैं, कर्मशील व्यक्ति को।

अवसर दरवाजा खटखटाये, तब सोया नहीं करते।।

[2]

होना सफल तो व्यक्ति में, बस लगन होनी चाहिये।

दिल दिमाग आत्मा भी, काम में मगन होनी चाहिये।।

बढ़ने की आग हो खूब, मन मस्तिष्क में भरी हुई।

चेहरे आँखों में बस जीत, की चमक होनी चाहिये।।

[3]

कामयाबी सफर में मुश्किल, बहुत धूप होती है।

होती नहीं छाँव पर दुश्वारी, बहुत खूब  होती है।।

वो होते सफल जिन्हें बिखरकर, निखारना आता।

हारते नहीं मन तो रुकावट, जीत की दूब होती है।।

© एस के कपूर “श्री हंस”

बरेली

ईमेल – Skkapoor5067@ gmail.com

मोब  – 9897071046, 8218685464

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈
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