डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत है “भावना के दोहे ”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 165 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे ☆
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बीत गया पतझड़ अभी, छाने लगा बसंत।
अच्छे दिन अब आ गए, हुआ शीत का अंत।।
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पौधे भी अब कर रहे, कलियों की ही आस।
देखो दस्तक दे रहा, खड़ा हुआ मधुमास।।
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पीले खिलते फूल, सरसों पर छाने लगे।
है मौसम अनुकूल, रवि के दिन आने लगे।
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सरसों पर छाने लगे, खिलते पीले फूल।
दिन रवि के आने लगे, है मौसम अनुकूल।।
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© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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