डॉ राजकुमार तिवारी ‘सुमित्र’
(संस्कारधानी जबलपुर के हमारी वरिष्ठतम पीढ़ी के साहित्यकार गुरुवर डॉ. राजकुमार “सुमित्र” जी को सादर चरण स्पर्श । वे आज भी हमारी उंगलियां थामकर अपने अनुभव की विरासत हमसे समय-समय पर साझा करते रहते हैं। इस पीढ़ी ने अपना सारा जीवन साहित्य सेवा में अर्पित कर दिया। वे निश्चित ही हमारे आदर्श हैं और प्रेरणा स्त्रोत हैं। आज प्रस्तुत हैं एक भावप्रवण गीत – प्रतिबंध बहुत हैं…।)
साप्ताहिक स्तम्भ – लेखनी सुमित्र की # 122 – गीत – प्रतिबंध बहुत हैं…
मुझ पर तो प्रतिबंध बहुत हैं
तू तो चल फिर सकता मन।
जा जल्दी से निकल बाहरे
कुलियों कुलियों जाना
राजमार्ग पर आ जाये तो
तनिक नहीं घबराना
थोड़ी दूर सड़क के पीछे
दिख जायेगा भव्य भवन।
भव्य भवन के किसी कक्ष में
होगी प्रिया उदासी
क्या जाने क्या खाया होगा
कब से होगी प्यासी
सुधबुध खोकर बैठी होगी
अपने में ही आप मगन।
पास खड़े हो हौले हौले
केशराशि सहलाना
‘आयेगा’ – वो गीत महल का
धीरे धीरे गाना।
आगे कुछ भी देख न पाऊँ
नीर भरे हो रहे नयन।
© डॉ राजकुमार “सुमित्र”
112 सर्राफा वार्ड, सिटी कोतवाली के पीछे चुन्नीलाल का बाड़ा, जबलपुर, मध्य प्रदेश
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