श्री जय प्रकाश पाण्डेय
(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में सँजो रखा है।आज प्रस्तुत है आपकी एक समसामयिक विषय पर आधारित आलेख – “लोढ़ा वाली पदमश्री जुधैया बाई”।)
☆ आलेख # 172 ☆ “लोढ़ा वाली पदमश्री जुधैया बाई” ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆
लुप्तप्राय बैगा जाति के उन्नयन और लोक संस्कृति से जुड़ी उमरिया जिले के पिछड़े गांव लोढ़ा निवासी श्रीमती जुधैया बाई बैगा को पदमश्री की बधाई ।
जुधैया बाई बैगा के गुरु प्रख्यात चित्रकार आशीष स्वामी समय समय पर चित्रों, कोलाज, पेन्टिंग, लोकनृत्य एवं रंगकर्म के माध्यम से बैगा संस्कृति को उकेरते रहे हैं।
प्रकृति – प्रेम भरा जीवन एवं वन्य – जीवों से प्रेम करने वाली बैगा जाति से उपजी कला को समझने के लिए बैगा जाति के मानस को समझकर रंग – कूची के संसार एवं रंगकर्म से जोड़ने की कला आशीष स्वामी ने उमरिया जिले के जनगण तस्वीरखाना से पाई थी। उनके मार्गदर्शन में लम्बे समय से बैगा संस्कृति पर काम कर रही 82 वर्षीय जुधैया बाई बैगा (लोढ़ा, उमरिया) को देश विदेश में आज ख्याति मिली है और आज उन्हें पद्मश्री मिल गई।
उल्लेखनीय है, उमरिया आरसेटी में डायरेक्टर के पद पर रहते हुए 2013 में श्रीमती जुधैया बाई बैगा और ख्यातिलब्ध चित्रकार आशीष स्वामी का सम्मान करने का गौरव हम लोगों को मिला था। आशीष स्वामी को कोरोना लील गया पर चित्रकार आशीष स्वामी ने अपने जीते जी 2019 से लगातार जुधैया भाई को पद्मश्री मिले इसके लिए प्रयास किए थे। एवं कलेक्टर उमरिया के माध्यम से सरकार को रिकंमनडेशन भिजवाया था।
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