श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “# चलो इक बार…#”

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 115 ☆

☆ # चलो इक बार… # ☆ 

चलो इक बार तुमसे हम

फिर प्यार करते हैं

उम्र के इस पड़ाव पर

फिर इजहार करते हैं

 

पुरानी किताबों के पन्नों से

आज निकली तस्वीर तुम्हारी

कितनी खूबसूरत थी तुम

और तस्वीर तुम्हारी

उन बीते पलों को याद

फिर इक बार करते हैं

चलो इक बार —

वो कालेज की कॅन्टीन में

तुम्हारा छुप छुप के मिलना

मुझसे मिलकर तुम्हारा

वो फूलों सा खिलना

वो चाय की चुस्कियों में डूबी नजरें

फिर चार करते हैं

चलो इक बार —

वो छत पर तुम्हारी

जो कटती थी सुहानी रातें

वो पहलू में थी तुम और

तुम्हारी प्यारी बातें

उन बीते लम्हों को याद

फिर बार बार करते हैं

चलो इक बार —

वो तूफान से आए और

गुजर गए दिन

वो बादल से छाए और

बरसे हर दिन

उन रिमझिम फुहारों से खुद को

फिर सरोबार करते हैं

चलो इक बार —

इस उम्र में भी

तुम भी जवां और

हम भी जवां है

बुढ़ापे का आलम मेरी जान

अभी आया कहाँ है

आओ इन लम्हों को हम दोनों

फिर गुलज़ार करते हैं

चलो इक बार तुमसे हम

फिर प्यार करते हैं/

© श्याम खापर्डे

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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