श्री सूबेदार पाण्डेय “आत्मानंद”
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – आत्मानंद साहित्य# 155 ☆
☆ कविता – आज ☆ श्री सूबेदार पाण्डेय “आत्मानंद” ☆
जो बीत गया वो भूतकाल था,
जो बचा हुआ वह आज है।
उसका संबंध है भविष्य से,
यही तो एक गहरा राज है।
आज मेहनत पर टिका हुआ,
सफल भविष्य का साज है।
कर्मवीर मानव अपने कर्मों पे
करता बहुत ही नाज है।
आज की मेहनत का परिणाम
सदैव भविष्य में मिलता है।
अकर्मण्य सदैव पछताता है,
उसका दुखी मिजाज है।
भूतकाल न लौट के आए,
मात्र स्मृतियों में दिखता है।
जिसने मेहनत किया आज,
वह नित नई ऊंचाई छूता है।
वह चढ़ा बुलंदी की छाती पर,
उसे आज दुआएं देता है।
समय के तीन है भाई,
कल आज और कल।
बीते समय को आज भुला,
अब तू आगे आगे चल।
© सूबेदार पांडेय “आत्मानंद”
(1-09-2021)
संपर्क – ग्राम जमसार, सिंधोरा बाज़ार, वाराणसी – 221208, मोबा—6387407266
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈