श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “# परीक्षा की यह कठिन घड़ी है … #”)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 118 ☆
☆ # परीक्षा की यह कठिन घड़ी है… # ☆
सब बच्चों की रंगत उड़ी है
परीक्षा की यह कठिन घड़ी है
यह छोटू, यह मोटू
यह गुड्डू, यह गुड़िया
यह मुन्ना, यह मुनिया
यह सन्नी, यह हनी
यह जॉन, यह जेनी
यह बंटी, यह बबलू
यह वसीम, यह वहीदा
यह अब्दुल, यह रशीदा
यह करतार, यह कौर
यह धम्म दीप, यह उपासिका
यह अरण्यक, बहुत सारे और
सब पर आफत आन पड़ी है
यह परीक्षा की कठिन घड़ी है
परीक्षा नहीं इतनी आसान
मम्मी पापा है परेशान
पढ़ाते हैं बच्चों को दिन रात
सूझती नहीं और कोई बात
बच्चों के पीछे भागते है
दिन रात बस जागते हैं
प्रतिस्पर्धा बहुत कड़ी है
परीक्षा की यह कठिन घड़ी है
बच्चों से है सब का मान
परिणाम देख ना टूटे सम्मान
लगे हुए हैं बच्चों को मनाने
शिक्षा का मतलब समझाने
टाॅफी, पिज्जा, लालीपाप
हाजिर है जो बोलो आप
रट जाओ तुम टेबल सारे
गणित में अव्वल आओगे प्यारे
कितनी सरल यह बाराखड़ी है
परीक्षा की यह कठिन घड़ी है
जो लायेंगे अच्छे नंबर
कालोनी में होंगे सिकंदर
हर कोई प्यार करेगा
सर आंखों पर धरेगा
आदी अगली क्लास चढ़ेगा
मम्मी पापा का रुतबा बढ़ेगा
गोल्डी क्लास में अव्वल आया
दादा-दादी से साइकिल पाया
झूम उठे मम्मी-पापा, दादा-दादी
हीरो बन गया (गोल्डी) आदी
गोल्डी ने अपनी किस्मत गढ़ी है
परीक्षा की यह कठिन घड़ी है /
© श्याम खापर्डे
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