श्रीमती छाया सक्सेना ‘प्रभु’

(ई-अभिव्यक्ति में संस्कारधानी की सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्रीमती छाया सक्सेना ‘प्रभु’ जी द्वारा “व्यंग्य से सीखें और सिखाएं” शीर्षक से साप्ताहिक स्तम्भ प्रारम्भ करने के लिए हार्दिक आभार। आप अविचल प्रभा मासिक ई पत्रिका की प्रधान सम्पादक हैं। कई साहित्यिक संस्थाओं के महत्वपूर्ण पदों पर सुशोभित हैं तथा कई पुरस्कारों/अलंकरणों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं।  आपके साप्ताहिक स्तम्भ – व्यंग्य से सीखें और सिखाएं  में आज प्रस्तुत है एक विचारणीय रचना “जन जागरूकता बढ़ती रहे…। इस सार्थक रचना के लिए श्रीमती छाया सक्सेना जी की लेखनी को सादर नमन। आप प्रत्येक गुरुवार को श्रीमती छाया सक्सेना जी की रचना को आत्मसात कर सकेंगे।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  – व्यंग्य से सीखें और सिखाएं # 139 ☆

☆ जन जागरूकता बढ़ती रहे  ☆

न नुकुर करते पूरा समय बीतता जा रहा है किन्तु वे टस से मस न हुए, ऐसा किसी व्यक्ति के साथ नहीं बल्कि पूरी उस सामाजिक सोच  के साथ है, जो समय के साथ बदलना ही नहीं चाहती। बस एक जैसा जीवन व्यतीत करते हुए पूरी उम्र बीती जा रही है। जिन मुद्दों को स्वतंत्रता के पूर्व उठाया गया था वही आज भी चले आ रहे हैं। जनता नए विचारों को आत्मसात करती जा रही है, किन्तु कुछ दल आज भी वही पुराना घोषणा पत्र, वही घिसे पिटे तर्क। अब कौन उन्हें समझाए कि  आज हम लोग डिजिटल हो चुके हैं सब कुछ गूगल से सर्च करके ही प्रत्याशी का चयन करते हैं। विभिन्न दलों के प्रवक्ता अपने दलों के समर्थन में जो तर्क देते हैं उन्हें सत्यता की कसौटी में परख कर ही चयन करते हैं। पहले कहा जाता था कि नेता पाँच साल में एक बार मुँह दिखाते हैं किन्तु अब ऐसा नहीं रहा, आगामी चुनावों की तैयारी में पूरा शीर्ष नेतृत्व 24×7, 365 दिन लगा रहता है। अब सबको समझ में आ गया है कि एक- एक पल का हिसाब  जनता  रखती है।

सच्चे मायनों में यही श्रेष्ठ लोकतंत्र का लक्षण है। लोक का ध्यान रखने वाली सरकार ही चुनी जाएगी। लोगों के मन से भय चला जाए, वे निर्भीक होकर  अपने विचारों को अभिव्यक्त कर सकें। सबको समान मौलिक अधिकार मिलें, सभी शिक्षित हों।

अब हम लोग अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक अपनी वैचारिक सोच को रख कर निर्णय लेने लगें हैं। वैसे भी सर्वे भवन्तु सुखिनः, वसुधैव कुटुंबकम, तमसो मा ज्योतिर्गमय हमारी परंपरा का हिस्सा रहे हैं और रहेंगे भी। तो आइए सद्विचारों के पोषक बनें और सही निर्णय लेने की ओर सदैव अग्रसर रहें।

©  श्रीमती छाया सक्सेना ‘प्रभु’

माँ नर्मदे नगर, म.न. -12, फेज- 1, बिलहरी, जबलपुर ( म. प्र.) 482020

मो. 7024285788, [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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