श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी होली पर्व पर विशेष कविता “# इतिहास… #”

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 119 ☆

☆ # इतिहास… # ☆ 

अरावली की पहाड़ियों में

गाईड के साथ घूमते हुए

हमने देखा प्राचीन किलों को

गगन को चूमते हुए

कितने कुशल कारीगरों ने

अपना कौशल दिखाया है

दुर्गम पहाड़ियों को काटकर

अद्भुत  किला बनाया है

पत्थर, चूना, गोंद से

क्या सुंदर इमारत बनाई है

जो सदियां बीत जाने पर भी

आज भी शान से लहराई है

क्या कारीगरी, इंजीनियरिंग है

जो आज भी अबूझ, विशालकाय

अप्रतिम, अवर्णनीय है

लेक, झरने, नयनाभिराम झीलें है

पर पानी के स्त्रोत का पता नहीं है

सारी झीलें, तालाब

पानी से लबालब है

जहां मनुष्य की सत्ता नहीं है

हर पत्थर जैसें कुछ बोलता है

अपने इतिहास को बतलाने

मुंह खोलता है

उन्हें अपने खंडहरों पर

आज भी गौरव, सम्मान है

अपने शौर्य, पराक्रम पर

प्रचंड पौरूष और मान है

बीते हुए कल की यह बेजोड़

भव्य कलाकृतियां

आज के युग में हमारी धरोहर हैं

हमारी शान, मान और इतिहास है

जिनकी गौरव गाथाएं

गाई जाती आज भी घर घर है/

© श्याम खापर्डे

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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