श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”
(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” जी का हिन्दी बाल -साहित्य एवं हिन्दी साहित्य की अन्य विधाओं में विशिष्ट योगदान हैं। साप्ताहिक स्तम्भ “श्री ओमप्रकाश जी की लघुकथाएं ” के अंतर्गत उनकी मानवीय दृष्टिकोण से परिपूर्ण लघुकथाएं आप प्रत्येक गुरुवार को पढ़ सकते हैं। आज प्रस्तुत है उनकी एक सार्थक लघुकथा “गणना ”। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – श्री ओमप्रकाश जी की लघुकथाएं – #27 ☆
☆ गणना ☆
अनीता बहुत परेशान थी. 250 बच्चों की गणना करना, फिर उन्हें जातिवार बांटना, लड़का- लड़की में छांटना – यह वह अकेली कर नहीं पा रही थी . आखिर थक हर कर अपने एक शिक्षक साथी से कहा , “आप मेरी गणना करवा दीजिए.”
साथी मुंहफट था “मैं आप का काम करवा देता हूँ, बदले मुझे क्या मिलेगा ?”
“जो आप चाहे,” कहने को अनीता कह गई, मगर बाद में उस ने बहुत सोचा और इस निष्कर्ष पर पहुंची कि घर से दूर रह कर यह गठबंधन करने में ही उसे ज्यादा फायदा है. अन्यथा वह यहाँ अकेली नौकरी नहीं कर पाएगी. इसलिए चुपचाप साथी के साथ गणना करने चल दी.
© ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”