श्री एस के कपूर “श्री हंस”
(बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री एस के कपूर “श्री हंस” जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। आप कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं। साहित्य एवं सामाजिक सेवाओं में आपका विशेष योगदान हैं। आप प्रत्येक शनिवार श्री एस के कपूर जी की रचना आत्मसात कर सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपका एक भावप्रवण मुक्तक ।। हे माँ दुर्गा पापनाशनी,तेरा वंदन बारम्बार है।।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ “श्री हंस” साहित्य # 60 ☆
☆ मुक्तक ☆ ।। हे माँ दुर्गा पापनाशनी,तेरा वंदन बारम्बार है ।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆
[1]
सुबह शाम की आरती और
माता का जयकारा।
नौदिवस का हरदिन बन गया
शक्ति का भंडारा।।
केसर चुनरी चूड़ी रोली हे माँ
तेरा श्रृंगार सब करें।
सिंह पर सवार माँ दुर्गा आयी
बन भक्तों का सहारा।।
[2]
तेरे नौं रूपों में समायी शक्ति
बहुत असीम है।
तेरी भक्ति से बन जाता व्यक्ति
बहुत प्रवीण है।।
हे वरदायनी पापनाशनी चंडी
रूपा कल्याणी तू।
दुर्गा नाम मात्र हो जाता व्यक्ति
भक्ति तल्लीन है ।।
[3]
नौं दिन की नवरात्रि मानो कि
ऊर्जा का संचार है।
भक्ति में लीन तेरे भजनों की
माया अपरम्पार है।।
कलश कसोरा जौ और पानी
आस्था के प्रतीक।
हे जगत पालिनी माँ दुर्गा तेरा
वंदन बारम्बार है।।
☆
© एस के कपूर “श्री हंस”
बरेली
मोब – 9897071046, 8218685464