श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा “रात का चौकीदार” महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं की “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता –“लय साधो… ”।)
☆ तन्मय साहित्य #175 ☆
☆ लय साधो… ☆ श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ ☆
लय साधो
इस जीवन की
तन की, मन की
अपनों के सँग
अपने-पन की।
क्या है उलझन
सब साज सजे
सुर-ताल-राग
फिर क्यों है
अन्तस् में विचलन
है भादो
मेघ मल्हार बहे
चिंता नहीं कर अगहन की
लय साधो…..।
क्यों! है क्रंदन
लिपटे दुख के
अनगिन भुजंग
फिर भी निर्विष
रहता चन्दन,
भय त्यागो
सुखमय सैर करो
सुरभित वन-उपवन की
लय साधो…..।
साँसों का क्रम
अविरल गति से
चल रहा अथक
संचालक हम
मन में यह भ्रम,
पहरा दो
बहके ना पथ में
धारा पुनीत चिंतन की
लय साधो…।
© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश, अलीगढ उत्तरप्रदेश
मो. 9893266014
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈