श्री एस के कपूर “श्री हंस”

(बहुमुखी प्रतिभा के धनी  श्री एस के कपूर “श्री हंस” जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। आप कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं। साहित्य एवं सामाजिक सेवाओं में आपका विशेष योगदान हैं।  आप प्रत्येक शनिवार श्री एस के कपूर जी की रचना आत्मसात कर सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपका एक भावप्रवण मुक्तक ।।प्रेम से परिवार बनता स्वर्ग समान है।।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ “श्री हंस” साहित्य # 61 ☆

☆ मुक्तक  ☆ ।।प्रेम से परिवार बनता स्वर्ग समान है।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆ 

[1]

परिवार छोटी सी   दुनिया,   प्यार का संसार है।

एक अदृश्य स्नेह प्रेम का अद्धभुत सा आधार है।।

है बसा प्रेम तो स्वर्ग सा घर,अपना बन जाता।

कभी बन्धन रिश्तों का,  कभी मीठी तकरार है।।

[2]

सुख दुख आँसू मुस्कान, बाँटने का परिवार है नाम।

मात पिता आदर से परिवार,बनता है चारों धाम।।

आशीर्वाद,स्नेह, प्रेम,त्याग,डोरी से बंधे हैं सब।

प्रेम गृह छत तले परिवार, होता है स्वर्ग समान।।

[3]

तेरा मेरा नहीं हम  सबका, होता है परिवार में।

परस्पर सदभावना बसती है,यहाँ हर किरदार में।।

नफरत ईर्ष्या का कोई,स्थान नहीं घर के भीतर।

प्रभु स्वयं ही आ बसते, बन प्रेम मूरत घर संसार में।।

© एस के कपूर “श्री हंस”

बरेली

ईमेल – Skkapoor5067@ gmail.com

मोब  – 9897071046, 8218685464

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈
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