डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं “भावना के दोहे …”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 175 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे … ☆
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मिल गई मंजिल मुझको, नहीं मिटा है प्यार ।
इश्क अधूरा है नहीं, सुन लो मेरे यार।।
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जीवन की दहलीज पर,सुन लो मेरे मित्र ।
करना पूरा इश्क है, बना लिया है चित्र।।
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कर लो मुझसे प्यार तुम, मन मेरा बेचैन ।
नहीं अधूरा इश्क़ है, मिल जाएगा चैन।।
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जब भी तुझको देखती, बहती हैं जलधार।
सजन अधूरा इश्क़ है, कर लो मुझसे प्यार।।
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तपन बहुत है नयन में, ठंडक दे दो राम ।
इश्क अधूरा ना रहे, आ जाओ तुम धाम।।
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सच्ची मेरी दोस्ती, नहीं करो तकरार।
इश्क अधूरा ना रहे, बुन लो धागे चार।।
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इश्क अधूरा ही सही ,सुन लो मेरे मीत।
मन में तुम बसती गई, जीवन का संगीत।।
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किया है वादा तुमसे, मुकरना नहीं आप।
इश्क अधूरा ना रहे, आ जाओ चुपचाप।।
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अधूरा इश्क़ सह रहे, सुनो तुम दास्तान।
कुछ तो तरस तुम करना, बच जाए इंसान।।
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© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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