श्री एस के कपूर “श्री हंस”
(बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री एस के कपूर “श्री हंस” जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। आप कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं। साहित्य एवं सामाजिक सेवाओं में आपका विशेष योगदान हैं। आप प्रत्येक शनिवार श्री एस के कपूर जी की रचना आत्मसात कर सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपका एक भावप्रवण मुक्तक ।।अगर चमकना है तो सूरज सा जलना सीख लो।।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ “श्री हंस” साहित्य # 62 ☆
☆ मुक्तक ☆ ।।अगर चमकना है तो सूरज सा जलना सीख लो।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆
[1]
जियो तो खुशियों की मीठी सौगात है जिन्दगी।
भूलना सीखोअच्छी यादों की बारात है जिन्दगी।।
ढूंढो हर पल में खुशियों के छिपे लम्हों को तुम।
प्रेमनज़र से देखो मुस्काती हरबात है जिन्दगी।।
[2]
जिन्दगीऔर कुछ नहीं बस जज्बात है जिन्दगी।
तुम्हारे अपनी मेहनत की करामात है जिन्दगी।।
भाईचारा मीठी जुबान हमेशा रखना जीवन में।
जानलो बस एकदूजे की खिदमात है जिन्दगी।।
[3]
रोशन चमकती हुई इकआफताब है जिन्दगी।
नफरत की रमकआ जाये तो बर्बाद है जिन्दगी।।
सफ़ल जीवन तुम्हारेअच्छी सोचविचार का ही है।
गर सकारात्मक तो फिर आबाद है जिन्दगी।।
[4]
चमकना है तो फिर सूरज सा जलना सीख लो।
सोने सा तपना और फिर गलना भी सीख लो।।
बनो वह चिरागआंधियों में भी रोशन करे दुनिया।
धारा विपरीत भी काँटों पर चलना सीख लो।।
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© एस के कपूर “श्री हंस”
बरेली
मोब – 9897071046, 8218685464