श्री राकेश कुमार
(श्री राकेश कुमार जी भारतीय स्टेट बैंक से 37 वर्ष सेवा के उपरांत वरिष्ठ अधिकारी के पद पर मुंबई से 2016 में सेवानिवृत। बैंक की सेवा में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान के विभिन्न शहरों और वहाँ की संस्कृति को करीब से देखने का अवसर मिला। उनके आत्मकथ्य स्वरुप – “संभवतः मेरी रचनाएँ मेरी स्मृतियों और अनुभवों का लेखा जोखा है।” आज प्रस्तुत है आलेख की शृंखला – “देश -परदेश ” की अगली कड़ी।)
☆ आलेख # 32 ☆ देश-परदेश – शहीद स्मारक ☆ श्री राकेश कुमार ☆
हमारे देश में युद्ध में सर्वोच्च बलिदान देने वालों की याद में अनेक स्मारक बने हुए हैं। कई कस्बों और शहरों में शहीदों के नाम की पट्टियां और मूर्तियां लगाकर उनका सम्मान भी किया जाता है। शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाक़ी निशा होगा”
विश्व युद्ध प्रथम, द्वितीय, शत्रु देश चीन, पाकिस्तान इत्यादि के साथ हुए युद्धों में अपने प्राण निछावर करने वाले देश के सपूतों की स्मृति को चिरस्थाई बनाए रखने और जन साधारण को प्रेरणा देने के लिए ये मील के पत्थर का कार्य करते हैं।
यहां विदेश में भी अनेक तिराहों, चौराहों आदि पर इसी प्रकार की नाम पट्टी लगी हुई मिली। वर्तमान निवास के पास एक तिराहे पर पैदल चलने वालों के लिए विश्राम स्थल बना हुआ है। वहां पर विश्व युद्ध प्रथम, द्वितीय और वियतनाम में अपनी जान देने वाले अमरीकी जो इस क्षेत्र के निवासी थे, उनके नाम और विभिन्न वीरता सम्मान प्राप्त सुरक्षा प्रहरियों के नाम में एक भारतीय मूल का नाम अंकित है। स्वर्गीय माईकल वी भाटिया (हो सकता है, अमेरिका में रहते हुए उन्होंने सुविधा के लिए अपने मूल नाम को माईकल कर लिया होगा) जिनको” मेडल ऑफ लिबर्टी” के सम्मान से नवजा गया है, इस बात का गवाह है। हमारे देश के लोगों ने जब भी मौका मिला उन्होंने बिना अपनी जान की परवाह किए, कर्तव्य को प्राथमिकता दी है। इस प्रकार का जज़्बा हम भारतीयों के खून में ही है।
© श्री राकेश कुमार
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