डॉ राजकुमार तिवारी ‘सुमित्र’
(संस्कारधानी जबलपुर के हमारी वरिष्ठतम पीढ़ी के साहित्यकार गुरुवर डॉ. राजकुमार “सुमित्र” जी को सादर चरण स्पर्श । वे आज भी हमारी उंगलियां थामकर अपने अनुभव की विरासत हमसे समय-समय पर साझा करते रहते हैं। इस पीढ़ी ने अपना सारा जीवन साहित्य सेवा में अर्पित कर दिया। वे निश्चित ही हमारे आदर्श हैं और प्रेरणा स्त्रोत हैं। आज प्रस्तुत हैं आपकी एक भावप्रवण रचना – कैसा होता प्यार बताओ…।)
साप्ताहिक स्तम्भ – लेखनी सुमित्र की # 138 – कैसा होता प्यार बताओ…
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कैसा होता प्यार बताओ
बोल उठा मैं
कहती जाओ, कहती जाओ।
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गंध घुली लगती है आहट
ओस घुली सी आँखें मेरी
चपल चाँदनी में पाता हूँ
अपने मन की चाह घनेरी
जानो बूझो भेद बताओ
तुम कहती हो
कैसा होता प्यार बताओ।
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शब्द उच्चरित करती हो जब
रेशम रूप दिखाई देता
करती हो संधान स्वरों का
अनहद नाद सुनाई देता
कैसी यह अनुभूति बताओ
तुम कहती हो
कैसा होता प्यार बताओ।
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© डॉ राजकुमार “सुमित्र”
112 सर्राफा वार्ड, सिटी कोतवाली के पीछे चुन्नीलाल का बाड़ा, जबलपुर, मध्य प्रदेश
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