डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से  प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं  “भावना के दोहे…।) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 181 – साहित्य निकुंज ☆

☆ भावना के दोहे… ☆

पथिक

आती बाधा रोककर, पथिक चला है राह।

डिगा नहीं तूफान से,कभी न निकली आह।।

मझधार

नाव फँसी मझधार में,बहती धाराधार।

पानी बढ़ता जा रहा, कैसे जाऊँ पार।।

आभार

मान रहे हैं आपको,करो आप उद्धार।

अर्जी मेरी प्रभु सुनो ,मानेंगे आभार।।

उत्सव

जश्न मनाओ खूब तुम, मचती उत्सव धूम।

बादल आए घूम के,बरसेंगे वो झूम।।

छाँव

पथिक राह में ढूँढता, मिली नहीं है छाँव।

चलते -चलते थक गया,अब तक मिली न ठाँव।।

© डॉ भावना शुक्ल

सहसंपादक… प्राची

प्रतीक लॉरेल, J-1504, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब. 9278720311 ईमेल : [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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